अब इलाज कराना हुआ और भी महंगा, प्राइवेट अस्पतालों में कमरों के लिए देना होगा अधिक चार्ज

अब ICU (इंटेसिव केयर यूनिट) को छोड़कर अब प्रतिदिन 5,000 रुपये से अधिक वाले अस्पताल के कमरों पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. जितने दिन मरीज इलाज के दौरान बेड पर रहेगा, उसे रोज 200 रुपये से ज्यादा अतिरिक्त रकम खर्च करनी पड़ सकती है
नई दिल्ली:
महंगाई का दंश झेल रहे आम आदमी के लिए किसी भी मोर्चे पर राहत नहीं है. जीएसटी परिषद की ओर से कई क्षेत्रों के लिए जीएसटी दरों में संशोधन किया गया है और कई ऐसी चीजों को जीएसटी के दायरे में लाया गया है, जिसपर अबतक टैक्स नहीं लगता था. इसके चलते आज सोमवार, 18 जुलाई, 2022 से देश में कई सेवाएं और उपभोग की वस्तुएं महंगी हो गई हैं. इनमें अस्पताल का इलाज भी शामिल है. नए संशोधन के मुताबिक, अब मरीजों को निजी अस्पतालों में कमरों के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे.

जीएसटी परिषद ने जीएसटी के दायरे में प्राइवेट अस्पतालों के कमरों के किराए को भी शामिल किया है. अब ICU (इंटेसिव केयर यूनिट) को छोड़कर अब प्रतिदिन 5,000 रुपये से अधिक वाले अस्पताल के कमरों पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. जितने दिन मरीज इलाज के दौरान बेड पर रहेगा, उसे रोज 200 रुपये से ज्यादा अतिरिक्त रकम खर्च करनी पड़ सकती है.
बता दें कि परिषद की ओर से यह प्रस्ताव लाए जाने के बाद फिक्की, एसोचैम, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जैसे कुछ और संगठनों ने इसका विरोध किया था. इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी भी लिखी गई थी. इनका कहना था कि इसका असर सीधे अस्पतालों और मरीजों पर पड़ेगा. महंगी स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अस्पताल अपनी लागत के चलते यह टैक्स जनता की ओर पास कर देंगे. इसका सीधा असर मरीज के इलाज के बिल पर पड़ेगा.
तर्क यह भी दिया गया कि कमरों पर जीएसटी लगाना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि मरीज ऐसे कमरों में रीक्रिएशनल उद्देश्य यानी आराम करने या स्वास्थ्य लाभ लेने नहीं आते, बल्कि वो उनके इलाज का हिस्सा है, ऐसे में इन कमरों पर टैक्स लगाना ठीक नहीं.

हालांकि, विरोध के बावजूद अब यह सेवाएं आज से जीएसटी के दायरे में आ गई हैं. इसके अलावा, आज से कई खाद्य वस्तुएं भी महंगी हो गई हैं. इनमें पहले से पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, पनीर और दही शामिल हैं. इन पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना होगा. हालांकि, अनाज, दाल, आटे समेत 25 किलोग्राम से अधिक वजन के खाद्य वस्तु के पैकेट को पांच फीसदी जीएसटी से छूट मिलेगी.